|
जिंदगी भी सांप सीढ़ी का ही खेल है गिराने वालों और उठाने वालों का मेल है
कभी सांप पीछे कर देता है कभी सीढ़ी आगे कर देती है
खेल में आगे जाने वाले ज़रूरी नहीं हमेशा आगे ही रहेगा कब सांप से सामना हो जाए और हमसे पीछे आ जाए
क्योंकि 98 पर आकर भी 79 पर आना पड़ता है, एक बार ही नहीं बार बार आना पड़ता है
सांप मिलने पर भी प्रयास करते रहना है, सीढ़ी मिलने पर भी प्रयास करते रहना है,
पर जब कोई 98 पे सांप से मिलने पे निराश हो जाए, बार-बार गिरने से खेल ही छोड़ जाए
मझधार में छोड़ने वाले खेल नये सिरे से शुरू करते हैं प्रयास करते रहने वाले जश्न सफलता का मनाते हैं
जीतने वाला कभी छोड़ता नहीं और छोड़ने वाला कभी जीतता नहीं
प्रयास करते रहना हमारे हाथ में है प्रयास का फल विधाता के हाथ में है
|